मृत्युबोध
8/4/10
प्रार्थना
एक कविता ऐसी जो बचपन में
सुनी थी, हमारे गाँव के एक
पुजारी जी थे, जीवन भर सिर्फ
एक ही प्रार्थना क़ी।
अन्य शास्त्र आदि उनसे साबका
न रख पाए.
आप भी उनकी प्रार्थना सुनिए-
जय जगदीश, जय जगदीश
गाय दा बीस भैंस दा तीस
रहरी के दाल जड़हने क भात
गलगल नेबुआ औ घिव तात
जय जगदीश!
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