
जब मारे गए थे शेख मोहम्मद गुलफाम
मरना ही पड़ा मिस्टर गुलफाम को
क़त्ल हो गया उनका सरेआम
सर, धड़ से अलहदा कर दिया गया
गली से नहीं संसद से आया था हत्यारा
क़ानून की मोटी मोटी किताबों से दबा कर
सांस नली पहले तोड़ दी गयी
फिर जुबान पर दीमक छोड़ दी गयी
पन्नों के तेज किनारों से हलाल कर दिए गए गुलफाम साहब
एहसान जाफरी के बड़े भाई गुलफाम जाफरी,
यह 30 सितम्बर की उमस भरी रात की बात नहीं है
यह बात है बहुत पुरानी
अब इस वक्त तो सिर्फ सबूत मिले हैं लाश के
खुदाई में!
मृत्युंजय
1 comment:
marna hi tha gulfam sahab ko...khudai chakkar hi aisa hai....
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