
खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव को,
कुहरे में लिपटे उस छोटे से गाँव को,
नए साल की शुभकामनाएं.
जांतें के गीतों को, बैलों की चाल को,
करघे को, कोल्हू को, मछुओं के जाल को,
नए साल की शुभकामनाएं.

चौके की गुनगुन को, चूल्हे की भोर को,
नए साल की शुभकामनाएं.
वीराने जंगल को, तारों को, रात को,
ठंढी दो बंदूकों में घर की बात को,
नए साल की शुभकामनाएं.
सिगरेट की लाशों पर फूलों से ख़्वाब को,
हर नन्हीं याद को, हर छोटी भूल को,
नए साल की शुभकामनाएं.
कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को,
उनको, जिन्होंने चुन-चुन कर ग्रीटिंग कार्ड लिखे,
उनको, जो अपने गमलों में चुपचाप दिखे,
नए साल की शुभकामनाएं.
...सर्वेश्वर
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